Wednesday, January 27, 2016

ध्यान दिऔ गाम पर

ब्याहक ओहि मधुर बेलामे
आयल बाराती मिथिलाक एकटा गाममे
जखन लागल द्वार सौ सं बेसी बाराती
परिचय दैक लेल आयल घराती।

टूटल-फूटल अंग्रेजी-फ्रेंचमे करय लागल टपर टपर
लागय जना मांक आंचर मे सीखल आब करय यै खपड़-खपड़
पढ़ल लिखल विद्वान बारातीक मुंह हुए लागल चपर-चपर
कियो कनि बुझलक, कियो हंसलक मुदा सभ करय लागल धपड़-धपड़।

नहि केकरो बुझहि मे आयल कोनो उंह
सभ कियो एक-दोसराक ताकलक मुंह
ता धरि नहि रहल गेल एकटा बाराती के
घराती से माइक थामलक अप्पन हाथ के
बाजल तमतमाके मातृभाषा मैथिली मे
की बिसुरि जायब अप्पन मायके एडवांस बनैक फेरमे
हां, जिनगी आगू बढ़ैक निशानी अछि

मुदा अप्पन भाषाक छोड़ब कतौका होशियारीक अछि।
चीन, जापान, अमेरिका आंगा बढ़ल अछि अप्पन भाषामे
हम पश्चिमक देखौंस करैत बाजि रहल छी दोसरक भाषामे
जौं हमर माय अनपढ़, अंग्रेजी बाजय पड़ोसक काकी
ते एडवांसक चक्कर मे की काकीके कहब अप्पन मम्मी।

तहिना सुनू सब गोटे एतय
दोसराके मूर्ख बनाके जायब कतय
जे छी हमर भाषा, छी हमर माय
कतबैयो दुत्कारब तहियो बनल रहत गाय।

पेट भरय लेल जे बाजी भाषा
मुदा मनक सुतुष्टि देत यहि भाषा
दोसर भाषाक लेल अहां आन रहब
अप्पन भाषा बाजब ते अहांक आन रहत
गर्व करू भाषा पर, गर्व करू मैथिली पर
रहू कत्तौ मुदा ध्यान दियौ गाम पर।

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