Tuesday, January 26, 2016

मोह

नेनासे जवान भेलहुं, जवानीसं आयल बुढ़ाड़ी
दिन राती लागल रहलऊं, करैत रहलहौं बेगारी.
बाप-मायक बाद कनिया- संतानक आयल फेर
मन मानय या नहि मानय करैत रहलहौं चकारी.
साम दाम दंड औ भेदक करैत रहलहौं जुगाड़
नहि भेटल तहियौ संतुष्टि बनल रहलहौं नगारी.
नेनाक पढ़ायब घर बनायब करलहौं खूब धूरफंदी
जिनगीक एकटा मोड़ आयल जेब रहलहौं करारी.
उम्र बीतल आ बीतल गृहस्थ आश्रमक बेर
मोह-माया यहि अछि सब बनल रहलहौं मदारी.

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