Sunday, January 24, 2016

तरंग

ब्याकुल मनक तरंग जेना तरंग अछि जिनगी
नहि एकर कोनो सीमान अछि यहि अछि जिनगी.
अथाह पइन हुए या हुए कत्तौ कोनो बवंडर
नहि ई कात लागत कियो कत्तौ यहि अछि जिनगी.
सुरक तरंग सुनि ई मन होयत अछि बेचैन
दुनियाक तरंग सं छी बेचैन यहि अछि जिनगी.
तामसक तरंग हुए वा हुए खुशीक सतरंग
दुखसुख जीवनक अंग अछि यहि अछि जिनगी.
नैतिक जीवन जी नहि दियौ केकरो दिलक चोट
अंत समय पछतायब नहि यहि अछि जिनगी.

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