हम कविता लिखब बिसुरि गेलहुं
आओर ककरा लेल लिखी ओ कियो नहि रहल अछि
फसल केर मारल खेतिहर आत्महत्या कs रहल अछि
भूकंप आ सुनामी मे लोक मारल जा रहल अछि
धर्मनिरपेक्षताक नाम पर राजनीति भs रहल अछि
लोकतंत्रक नाम पर लोकक गर घोंटल जा रहल अछि।
हम कविता लिखब बिसुरि गेलहुं
खेत पथार मे फसल नहि अछि
इनार पोखरिमे पइन नहि अछि
गाय महीसक लेल घास नहि अछि
काज करहि लेल मजूर नहि अछि
लोक लेल लोकक आंखि मे नोर नहि अछि।
हम कविता लिखब बिसुरि गेलहुं
घरमे कनिया के माय से पटय नहि अछि
जतय हम रहैत छी ओतय पड़ोसी सं गप होयत नहि अछि
कोनो पड़ोसी देस सं अप्पन देशक नीक संबंध नहि अछि
राजनीति मे नीक लोक भेटैत नहि अछि
ईमानदार लोक केकरो सोहाबैत नहि अछि।
हम कविता लिखब बिसुरि गेलहुं।
कलाकार कहाबैत अछि मुदा कला नहि जानैत अछि
रचनाकार कहाबैत अछि मुदा रचना नहि करैत अछि
साहित्यकार कहाबैत अछि मुदा साहित्य नहि जानैत अछि
ताहि सं हमर ह्रदय द्रवित अछि आ हम कविता लिखब बिसुरि गेलहुं।
आओर ककरा लेल लिखी ओ कियो नहि रहल अछि
फसल केर मारल खेतिहर आत्महत्या कs रहल अछि
भूकंप आ सुनामी मे लोक मारल जा रहल अछि
धर्मनिरपेक्षताक नाम पर राजनीति भs रहल अछि
लोकतंत्रक नाम पर लोकक गर घोंटल जा रहल अछि।
हम कविता लिखब बिसुरि गेलहुं
खेत पथार मे फसल नहि अछि
इनार पोखरिमे पइन नहि अछि
गाय महीसक लेल घास नहि अछि
काज करहि लेल मजूर नहि अछि
लोक लेल लोकक आंखि मे नोर नहि अछि।
हम कविता लिखब बिसुरि गेलहुं
घरमे कनिया के माय से पटय नहि अछि
जतय हम रहैत छी ओतय पड़ोसी सं गप होयत नहि अछि
कोनो पड़ोसी देस सं अप्पन देशक नीक संबंध नहि अछि
राजनीति मे नीक लोक भेटैत नहि अछि
ईमानदार लोक केकरो सोहाबैत नहि अछि।
हम कविता लिखब बिसुरि गेलहुं।
कलाकार कहाबैत अछि मुदा कला नहि जानैत अछि
रचनाकार कहाबैत अछि मुदा रचना नहि करैत अछि
साहित्यकार कहाबैत अछि मुदा साहित्य नहि जानैत अछि
ताहि सं हमर ह्रदय द्रवित अछि आ हम कविता लिखब बिसुरि गेलहुं।
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