Tuesday, April 10, 2012

अभिनय-मंगलेश डबराल

एकटा गहीर आत्मविश्वाससं भरि कऽ
भोरे निकलि जाइत छी घरसँ
जइसँ दिन भरि आश्वस्त रहि सकी
एकटा लोक सँ भेंट करैत मुस्काइत छी
ओ एकाएक देखि लैत अछि हमर मिज्झर मन
एकटासँ चटसँ हाथ मिलाबैत छी
ओ बुझि लैत अछि जे हम भीतरसँ छी मिज्झर
एकटा सखाक आगू चुप बैसि जाइ छी
ओ कहैत अछि जे अहां दुब्बर-रोगियाहा सन लखाह दऽ रहल छी 
जे हमरा कहियो घरमे नै देखने छल
ओ कहैत अछि जे आइ अहाँकेँ टीवी पर देखने छलहुँ एकदिन

बाजारमे घुमैत छी निश्शब्द
डिब्बामे बंद भऽ रहल अछि पूरा देश
सम्पूर्ण जीवन बिकाबैक लेल
एकटा नब रंगीन पोथी अछि जे हमर कविताक
विरोध मे आएल अछि
जइमे छपल सुन्नर चेहरामे कोनो कष्ट नै
ठाम-ठाम नृत्यक मुद्रा अछि विचारक बदलामे
हेयौ एकटा पूरा फिल्म अछि लम्बा
अहाँ कीन लिअ आ खूब आनंद उठाउ

शेष जे किछु अछि अभिनयक
चारू कात शोर आबि रहल अछि
मेकअप बदलहिक काल नै अछि
हत्यारा एकटा नेनाक कपडा पहिनि कऽ आबि गेल छल
ओ जकरा अपना पर घमंड छल
एकटा खुशामदक आवाज मे गिडगिडा रहल छल
ट्रेजडी अछि संक्षिप्त नम्हर प्रहसन
सभ चाहैत अछि कोन तरहे छीन ली
सभसँ नीक अभिनेताक  पुरस्कार ।

रचनाकाल : १९९०
अनुवाद- विनीत उत्पल 

भोथिआएल-मंगलेश डबराल

शहरक पेशाबघर आ आर  जानल-चिन्हल ठाम मे
ओ भोथिआएल लोकक तकै बला पोस्टर
एखनो साटल लखाह दैत अछि
जे कतेको बरख पहिने दस-बारह बरखक उम्र मे
बिना बतेने घरसँ निकलि गेल छल
पोस्टरक मुताबिक ओकर लम्बाइ मझौला छै
रंग गोर नै पिण्डश्याम छै
हवाइ चट्टी पहिरले छै
चेहरा पर कोनो चोटक निशान छै
आ ओकर माय ओकरा बिना कानैत रहैत छै
पोस्टरक अंत मे ई आश्वासन सेहो रहैत छै
जे हरायल केँ खबर दै बला केँ भेटत
यथासंभव उचित इनाम

तखनो ओ केकरो चिन्हऽ मे नै आबैत छै
पोस्ट मे छपल झलफल फोटोसँ
ओकर बगेबानी नै मिलैत छै
ओकर शुरुबला उदासी पर
आब कष्ट झेलब बला ताव छै
शहरक मौसमक हिसाबसँ बदलैत गेल अछि ओकर चेहरा
कम खाएत, कम सुतत/ कम बाजैत
लगातार अप्पन ठाम बदलैत
सरल आ कठिन दिवस केँ एक जना बिताबैत
आब ओ एकटा दोसर दुनिया मे अछि
किछु कुतूहलक संग
अप्पन गुमशुदगीक पोस्टर देखैत
जकरा ओकर माता-पिता अखन धरि छपवाबैत रहैत छै
जइ मे आबो दस वा बारह
लिखल रहैत अछि ओकर उम्र।

रचनाकाल: १९९३

अनुवाद -विनीत उत्पल