Tuesday, April 10, 2012

भोथिआएल-मंगलेश डबराल

शहरक पेशाबघर आ आर  जानल-चिन्हल ठाम मे
ओ भोथिआएल लोकक तकै बला पोस्टर
एखनो साटल लखाह दैत अछि
जे कतेको बरख पहिने दस-बारह बरखक उम्र मे
बिना बतेने घरसँ निकलि गेल छल
पोस्टरक मुताबिक ओकर लम्बाइ मझौला छै
रंग गोर नै पिण्डश्याम छै
हवाइ चट्टी पहिरले छै
चेहरा पर कोनो चोटक निशान छै
आ ओकर माय ओकरा बिना कानैत रहैत छै
पोस्टरक अंत मे ई आश्वासन सेहो रहैत छै
जे हरायल केँ खबर दै बला केँ भेटत
यथासंभव उचित इनाम

तखनो ओ केकरो चिन्हऽ मे नै आबैत छै
पोस्ट मे छपल झलफल फोटोसँ
ओकर बगेबानी नै मिलैत छै
ओकर शुरुबला उदासी पर
आब कष्ट झेलब बला ताव छै
शहरक मौसमक हिसाबसँ बदलैत गेल अछि ओकर चेहरा
कम खाएत, कम सुतत/ कम बाजैत
लगातार अप्पन ठाम बदलैत
सरल आ कठिन दिवस केँ एक जना बिताबैत
आब ओ एकटा दोसर दुनिया मे अछि
किछु कुतूहलक संग
अप्पन गुमशुदगीक पोस्टर देखैत
जकरा ओकर माता-पिता अखन धरि छपवाबैत रहैत छै
जइ मे आबो दस वा बारह
लिखल रहैत अछि ओकर उम्र।

रचनाकाल: १९९३

अनुवाद -विनीत उत्पल

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