Monday, October 5, 2015

दग़ा

दग़ा

अप्पन घर,
अप्पन गाम,
अप्पन देसक बचाबैक कोशिशमे
हमर बाबू अप्पन जान देने छल.
हम सेहो लड़बाक चाहैत छलहुं.
मुदा हम सब बौद्ध छी.
शांतिप्रिय आ अहिंसक.
ताहि सं हम क्षमा करैत छी अप्पन दुश्मन के
मुदा कखनो-कखनो हमरा लागैत अछि
हम दग़ा देलहुं अप्पन बाबू के.
-तेनज़िन त्सुन्दू
(तिब्बतक क्रांतिधर्मी कवि)
हिंदी अनुवाद- अशोक पाण्डे
मैथिली अनुवाद- विनीत उत्पल